क्या बयान करना जरूरी है? - कविता - मधुस्मिता सेनापति

अपनी यादों को
अपनी जज्बातों को
अपनी व्यवहारिक जीवन को
क्या बयान करना जरूरी है?
क्या बयान करना जरूरी है?

अपने अनकही सी बातों को
अपने संघर्ष को
अपने दर्द को
क्या बयान करना जरूरी है? 
क्या बयान करना जरूरी?

अपने खयालों को
अपने सपनों को
अपने अनकही सी मुलाकातों को
क्या बयान करना जरूरी है? 
क्या बयान करना जरूरी है?

तड़पती आहटों को
मुझे हुए एहसास को
दिल में दबी हुई जज्बातों को
क्या बयान करना जरूरी है?
क्या बयान करना जरूरी है?

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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