पुनः मुझे मिल जाते।
पहली मुलाकात थी प्यारे,
फिर से तुम मिल जाते।।
मेरे प्रियतम वह छोटा सा,
घर मेरा भी होता ।
हम दोंनो के मधुर मिलन से,
गीत मधुर बन जाते ।।
जुल्फों की उन सघन छांव में,
मेरा मन थिर जाता ।
होता ना अलगाव कभी फिर,
यूँ ऐसे सन जाते ।।
मुरझाए इस तन-मन में प्रिय, मुर्झ
पुनः पुष्प खिल जाते ।
कितना अच्छा होता फिर से,
स्वर्णिम दिन आ जाते ।।
जीवन के आधे मंजिल की,
रस्ता तय कर लेता ।
घट-घट के सब रस चख लेता,
साथ-साथ फिर जाते ।।
हर चाहत तुझको मैं देता,
कभी न मन दुख आता।
कितना अच्छा होता प्यारे,
फिर से तुम मिल जाते ।।
राहुल सिंह "शाहावादी" - जनपद, हरदोई (उत्तर प्रदेश)