कृष्ण के दोहे - दोहा - प्रशांत अवस्थी

माधव अंबर पीत है करते हैं श्रंगार
शीश मुकुट है मोर का गल वैजंती हार

वृंदावन के कुंज में नाचें नंदकुमार
छन छन बजते हैं नूपुर मुरली अधर सुधार

ग्वाल बाल राधा नचे नाचे बृज की नार
नभ से करते देवता फूलों की बौछार

करते हैं हम प्रार्थना मान तुम्हें आधार
शरण तुम्हारी हैं पड़े श्याम करो उपकार 

नित्य चित्त में धारता प्रशांत दिव्य विचार
भज मन राधे श्याम तू करते बेड़ा पार

प्रशांत अवस्थी - औरैया (उत्तर प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos