खुद को सौंप देती सरिता
सागर बिन व्याकुल है रहती
कतरा-कतरा होती सरिता
स्वच्छंद जल सा मन उसका
अविरत बहती रहती सरिता
ताउम्र सागर की ही है
रोम-रोम में बसती सरिता
सादगी की है वो मूरत
जिसको नज़्र करती कविता
अतुल पाठक - जनपद हाथरस - (उत्तर प्रदेश)
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अतुल पाठक - जनपद हाथरस - (उत्तर प्रदेश)
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