एक स्त्री और एक पुरूष - कविता - सलिल सरोज

अमूमन क्या होता है
जब एक स्त्री और एक पुरुष
साथ रहने लगते हैं
एक पुरुष उतना ही पाने लगता है
जितना एक स्त्री खोने लगती है

और इसका हिसाब
कोई गणित, विज्ञान या शास्त्र नहीं दे सकता
और ना ही एक पुरुष
इसका जवाब दे सकती है
केवल और मात्र
पूर्ण से अपूर्ण हुई
एक स्त्री

सलिल सरोज - मुखर्जी नगर (नई दिल्ली)

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