जुबान मीठी और दिल मे गद्दारी है!
अपने मिलते यहां पहनकर नकाब,
मानो झूठ बोलना कोई फऩकारी है!
मेरी तो अब खुद से ही जंग जारी है ,
नफरत के दौर मे मोहब्बत से यारी है!
मालूम है यहां सिर्फ झूठ बिकता है,
मगर सच लिखु ये मेरी जिम्मेदारी है!
चीनू गिरि - देहरादून (उत्तराखंड)