आजकल किस की किससे यारी है - कविता - चीनू गिरि

आजकल किस की किससे यारी है,
जुबान मीठी और दिल मे गद्दारी है!
अपने मिलते यहां पहनकर नकाब,
मानो झूठ बोलना कोई फऩकारी है!
मेरी तो अब खुद से ही जंग जारी है ,
नफरत के दौर मे मोहब्बत से यारी है!
मालूम है यहां सिर्फ झूठ  बिकता है,
मगर सच लिखु ये मेरी जिम्मेदारी है!

चीनू गिरि - देहरादून (उत्तराखंड)

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