ड्राइवर - कहानी - सीमा सिंह

"सुनो सायरा तुम दो बार स्कूटी से गिरी हो, मैं आखरी बार कह रहा हूँ, अगर आज के बाद तुमने स्कूटी को छुआ भी तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा"

जफ़र ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर सायरा को डांट रहा था, और सायरा सिर झुकाए हुए खड़ी थी, उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे।।

राजू कारपेंटर काफी देर से पैदल चल रहा था, थकान इतनी ज्यादा हो गई थी कि अब दो कदम भी चलना दूभर था कि तभी

एक बाइक सवार ने अपनी बाइक रोक कर पूछा- "भाई ये जफर टेंट वाले की दुकान कहाँ है?"

राजू कारपेंटर ने उस बाइक वाले को उपर से नीचे देखा वो बड़ा मासूम सा 20-21 साल का एक लड़का था, ऐसी थकन होने के बाद उसे एक सवारी की बहुत जरूरत पेश आ रही थी उसे देखकर राजू को तो ऐसा लगा कि साक्षात भगवान उसकी मदद को आ गए हों।
उसने फटाक से जवाब दिया "अरे जफर टेन्ट वाला!! अरे वो तो मेरे घर के रास्ते मे ही है, चलो मैं लिए चलता हूँ"

बाइक वाले ने भी उसे अपनी बाइक पे बैठाया और उसके बताए हुए रास्ते को फॉलो करने लगा।

तभी रास्ते मे स्कूटी से एक लड़की तेज़ी से आई और बाइक वाले से टकरा गई,
स्कूटी के हेड लाइट टूट गई बाइक वाला लड़का और राजू कारपेंटर भी सड़क पर बाइक टकराने से गिर पड़े थे।
भीड़ इकट्ठी हो गई थी, सभी लड़की को दोष दे रहे थे।
"देख कर चलना चाहिए था इसे, घर वाले जाने क्यों लड़कियों को गाड़ी दे देते हैं, इन्हें गाड़ी चलाना तो आती नहीं अगर गाड़ी रोकना भी हो तो ब्रेक न लगाकर पैरों से रोकती हैं"

तो वहीं कुछ लोग लड़की को दिलासा दे रहे थे।

मामला कोतवाली तक पहुंच गया, घटना स्थल पर मौजूद लोगों से पूछताछ की गई, सभी ने लड़की को दोष दिया।

घटना स्थल पर मौजूद लोगों के साइन लेकर सब को जाने दिया गया।

जफर टेन्ट वाले की दुकान पर बाइक वाले को छोड़कर राजू कारपेंटर अपने घर चला गया।

जफ़र के घर में हंगामा मचा हुआ था,
"तुम्हे कितनी बार समझाया कि अभी तुम गाड़ी नहीं चला पाती हो, तो क्यों बार बार बिना पूछे स्कूटी उठा ले जाती हो। देख लिया नतीजा, अब डाल दो इस स्कूटी को कवाड़े में।" 

कि तभी दरवाज़े पर लड़के को देखकर जफ़र बोला - "अरे फरीद मियां, कब आये? आओ आओ अंदर आओ"

फरीद ने जफ़र से पूछा - "चचा ये क्या हो रहा था यहाँ, किस बात पर डांट डपट हो रही थी?"

"अरे कुछ नहीं, वो तो मेरी बेटी सायरा को गाड़ी चलाना नहीं आता, और स्कूटी लेकर निकल जाती है, बस। आज किसी से टकरा गई, वो तो अल्लाह का शुक्र है उसे कोई चोट नहीं आई"

फरीद ने लड़की को देखा - ये तो वही लड़की थी जिससे उसकी बाइक से टक्कर हुई थी।
लेकिन उसने जफ़र को कुछ नहीं बताया। लड़की भी उसे देख कर चुप रही।

असल मे फरीद जफ़र के एक दोस्त का बेटा था जो इस शहर में एग्जाम देने आया हुआ है, और कुछ दिन जफ़र के घर ही रुकेगा।

घर में फरीद और सायरा के अलावा कोई नहीं था, फरीद छत से नीचे उतर रहा था कि उसका पैर फिसला और वो सीढ़ी से फिसल कर नीचे आ गिरा,
उसके पैर में काफी चोट आ गई थी उससे उठा भी नहीं जा रहा था। उसका आज एग्जाम भी है।

वो काफी परेशान था क्या करे क्या न करे?
तभी सायरा अपने एक्सीडेंट खाई स्कूटी जिसकी हेड लाइट टूट चुकी थी लेकर बाहर आई और फरीद से पीछे बैठने को कहा - फरीद भी चुपचाप सहारा लेकर स्कूटी पर बैठ गया।

सायरा उसे लेकर पास के हॉस्पिटल में गई वहां उसके पैर का इलाज करवाया, फिर उसे एग्जाम सेंटर ले जाकर उसे छोड़ा, 
इस बीच दोनो चुप थे न सायरा ने कुछ कहा और न ही फरीद ने कुछ बोला।
ढाई घंटे बाद एग्जाम खत्म हुआ तब तक सायरा बाहर ही खड़ी रही।

सायरा ने फरीद को पिकअप किया और घर पहुंची, घर पहुंचते ही जैसे तूफान आ गया। जफ़र तो मानो सायरा को मार ही डालेगा

"मैंने मना किया था कि अब तुम गाड़ी को हाथ भी नहीं लगाओगी फिर कैसे स्कूटी लेकर गईं, और इतनी देर से कहाँ गायब थीं??"
जफ़र बस सायरा को मारने के लिए हाथ उठाने वाला ही था कि अब फरीद से रहा नहीं गया, वो सायरा और जफ़र के बीच आ गया - "माफ़ कीजिये चचा, सायरा की कोई ग़लती नहीं है, उसने तो मेरी बहुत मदद की है, अगर वो आज न होती तो मैं आज एग्जाम भी नहीं दे पाता"
उसने सारी कहानी जफ़र को सुना दी।

फरीद की बात सुनकर जफ़र बोला - "अरे बेटा, इसने आज तुम्हारी मदद कर दी तो तुम इसलिए इसका पक्ष ले रहे हो, वरना तो एक लड़की कभी अच्छी गाड़ी नहीं चला सकती"

तभी राजू कारपेंटर भी वहाँ आ गया और उसने कहा -
"अरे जफ़र भाई, ऐसा कुछ भी नहीं है, उस दिन सायरा की स्कूटी का जिस के साथ एक्सीडेंट हुआ था वो कोई और नहीं फरीद की बाइक से हुआ था, उस दिन भी सायरा की कोई ग़लती नहीं थी, और न ही फरीद की ग़लती थी, वो तो मैं अपने घर पहुंचने की जल्दी में इसे रास्ता बताने की बातों में उलझाए हुए था, जिससे इसका ध्यान भटका और सायरा बिटिया की गाड़ी से टकरा गया।
सायरा बहुत अच्छी गाड़ी चला लेती है। इसलिए ये कहना बिल्कुल गलत है कि एक लड़की अच्छी ड्राइवर नहीं हो सकती। और इसका जीता जागता सुबूत फरीद के साथ आज की घटना ही है और लड़कियां तो अंतरिक्ष तक पहुँच चुकीं हैं और तुम अब तक इसी में अटके हुये हो कि लड़कियां अच्छी ड्राइवर नहीं हो सकतीं।"

जफ़र अब चुप था उसे अब समझ आ गया था कि एक लड़की भी अच्छी ड्राइवर हो सकती है।

सीमा सिंह - झाँसी (उत्तर प्रदेश)

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