जब से मथुरा गया किशन - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला

सावन में छायी हरियाली,
भादों आया हरित बसन।

राग रंग कुछ मुझे न भाता,
जब से मथुरा गया किशन।

सपना सा हो गया सभी कुछ,
हुई  कहानी सी  बातें।

रह रह उठती हूक हृदय में,
कौन सुने मन की बातें।

सोच रही थी अपने मन में,
किशन  कन्हैया मेरा  है।

नहीं जानती थी गोकुल में,
पंछी  रैन  बसेरा है।

सोची बात नहीं होती है,
होनी  ही होकर होती।

हंसकर जीना चाह रही थी
लेकिन है आंखें बहती।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उ०प्र०)

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