प्यार व्यार मत करना - ग़ज़ल - दिलशेर "दिल"

इश्क पे कभी दिल से, ऐतबार मत करना। 
प्यार है महज़ धोका, प्यार व्यार मत करना।

देखने में हो चाहे, वो तो चाँद जैसा भी। 
भूल के भी उससे तुम, आँखें चार मत करना।

आंसुओं से भीगा हो, चाहे उसका वो दामन। 
उस हसीन क़ातिल का, ऐतबार मत करना।

उनसे हमने पूछा तो, हँस के वो ये कहते हैं।
रात गई बात गई, अब इंतजार मत करना।

भूल तुम से हो जाए, प्यार करने की ऐ "दिल" 
एक बार कर लो तो, बार बार मत करना।

दिलशेर "दिल" - दतिया (मध्यप्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos