नमन कारगिल के शहीदों को - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

बार  बार  भी  हारकर , पाकी   नहीं     सुधार।
पीछे  से फिर   कारगिल , आतंकी  सह   वार।।१।।

सियाचिन अरु ग्लेशियर ,  पड़ी  बर्फिली साज। 
गद्दारी    की  पाक  बन , घुसपैठी    हिमराज।।२।।

काँप  रहे थे  गात्र जब ,  जीरो     नीचे    ठंड।
आतंकी   सेना    चढ़ी , भारत   करने  खण्ड।।३।।

चली   बसें   सद्भावना , भारत  से      लाहौर।
बदले  में घुसपैठ कर , पाक दिया   झकझोर।।४।

जागी सेना वतन की  , भृकुटी तान अभिमान।
छूट मिली सरकार की,अटल  सैन्य  बलिदान।।५।।

महाज्वाल  बोफोर्स  ने , साधा अचुक निशान।
बम वर्षण  नित व्योम से, गगन  वीर  परवान।।६।।

महावीर  जांबाज़   नित, जान  बिना  परवाह।
रात  दिन चारों पहर , अरिदल  किया  तबाह।।७।।

महाकाल बन   सैन्य बल , टूट  पड़े  नापाक ।
दाग  बारुद व गोलियाँ ,जले  आग  हो खाक।।८।।

डेढ़  माह   नापाक से  , चला विकट  संग्राम।
छह सौ वीर ने ज़ान दे , किया पाक  नाकाम।।९।।

मरे   हजारों   सैनिकें , आतंकी   इस   पाक।
सियाचीन अरु द्रास पर,राष्ट्र ध्वजा की धाक।।१०।। 

थर थर काँपा पाकबल,चहुँदिश पसरा शोक।
लहराये भारत शिखर , ध्वज तिरंग आलोक।।११।।

मुँह की खायी पाक ने, हुआ लोक  धिक्कार।
कारगिल कर महाविजय,भारत जग सत्कार।।१२।।

पड़ी जगत की गालियाँ,अलग थलग हो विश्व।
दुस्साहस  मिट्टी  पलित ,  खतरे  में  अस्तित्व।।१३।।

आन बान अरु शान को , बढ़ा सुयश सम्मान।
चुका  कर्ज़  माँ  भारती , दिया राष्ट्र बलिदान।।१४।।

राष्ट्र धर्म सबसे प्रथम , जीवन    हो  अरमान।
लेना पड़े लाखों जनम, काम  राष्ट्र    निर्माण।।१५।।

आज पुनः सादर नमन, श्रद्धाञ्जलि  दूँ नेह ।
हर शहीद के  शौर्य  से , संरक्षित  हम    गेह।।१६।।

नश्वर  लघुतर   जिंदगी , दें  परहित  में  दान।
तन मन धन दें देश को , गात्र विरत हो ज़ान।।१७।।

वीर   शहादत  बीसवीं , है  कृतज्ञ  यह  देश।
साश्रु नैन  श्रद्धा  सुमन , दे   निकुंज  संदेश।।१८।।

मनाएँ विजय दिवस हम,कारगिली बलिदान।
हों  कृतज्ञ  हर  वीर का,विनत भाव सम्मान।।१९।।

धन्य मुदित  माँ भारती ,  इतराती   सम्मान।
कर्ज़मुक्त कर कोख का, ले सपूत बलिदान।।२०।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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