जिंदगी - कविता - चीनू गिरि

कभी कड़ी धूप सी ,
कभी मीठी सी, कभी खट्टी सी,
तो कभी मजबूरियों का सिलसिला,
तो कभी खुशियाँ ही खुशियां,
पल दो पल की जिंदगी।
ख्वाहिशों की पंतग,
कभी उडती है ,
कभी कटती है,
तो कभी गिरती है जिंदगी।
हर पल नया एहसास ,
हसरतों की डोर है  ,
मंज़िल का पता नही,
फिर भी रोज की  भागती दौडती  जिंदगी ।
हर पल हर घडी नया किस्सा,
आज बचपन ,कल जवानी, परसों बुढापा ,
तेज रफ्तार से भागती हुई जिंदगी  ,
और फिर शमशान मे खत्म जिंदगी ।
हँस लो गा लो जो दिल मे है कर लो ,
क्या पता कल हम हो या ना ,
नही पता कब जिंदगी की शाम हो जाए,
जो भी है बस ये ही पल है जिंदगी ।

चीनू गिरि - देहरादून (उत्तराखंड)

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