जागरूकता - कविता - मधुस्मिता सेनापति

कुछ दिन ओर लड़ना है
कोरोना बीमारी को मूल से मारना है
भय व्याप्त है पूरे संसार में
कुछ भूखे प्यासे हालातो में है, लेकिन
हमें कोरोना को हराना है
सरकार के साथ देना है.........

सावधान, होसियार, खबरदार हो
आदमी से आदमी बेखवर हो
कुछ दिन ओर घरमे रहने की खबर हो
दुनियां की तस्वीर में मामला गंभीर है
यह इंसानियत की तकलीफ़ है............

जागरूकता ही वचाब है
कोरोना को हराने के लिए
जनता का ठहराव है
कोरोना को मिटाने के लिए
जहां हो वहां रुक जाओ 
हर गांव हर गली सहर देश बंद हो
हर आदमी से आदमी नजरबंद हो..........


मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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