ना जाने कितने जान लेने की यह ठान ले रही है........!!
हमारे श्रमिक भाई अपने मातृभूमि को,
लौटने की कितनी प्रयास कर रहे हैं,
अपने जीवन को बचाने की वह बेधड़क संघर्ष कर रहे हैं...
पेट की भूख गले की प्यास को,
मिटाने में असमर्थ होने पर भी,
आज वह जीवन रूपी सड़क पर लड़की चल रहे हैं......!!
ईश्वर के सामने यह इबादत है,
खुदा उनकी हिफाजत करें...........!!
फिर हमारे देश के श्रमिक भाई,
अपनी मातृभूमि में पहुंचकर
आपने नये जीवन की शुरुआत करें........!!
मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)