आत्मज्ञान - कविता - शेखर कुमार रंजन

खुद को खुद ढूंढ़ो
और खुद को खुद से मिलाओ
जीवन में उलझन है बहुत
जीवन को सुलझाओ।

सहजता और सरलता से
खुद को परखते जाओ
जीवन से जीवन के आनंद का
भरपूर लुफ्त उठाओ।

आत्मबोध आपके जीवन में
अनिवार्य तौर पर होती हैं
आत्मज्ञान से ही आत्मस्वरूप की
सिद्धि प्राप्त होती हैं।

आत्मज्ञानी कभी भी अपनी 
ज्ञान का दुरुपयोग नहीं करता है
जो ज्ञान का दुरुपयोग करता है
वह आत्मज्ञानी नही हो सकता है।

उपवास अन्न का नहीं विचारों का करे,
ऐसा मेरे गुरुजी बताते है
आत्मज्ञान हो जीवन में
ऐसा विचार सिखाते हैं।

आत्मज्ञान के कारण इंसान
खुद के नज़र में नहीं गिरता है
जो खुद के नजर में गिर गया
उसे आत्मज्ञान कभी न मिलता है।

जीवन में बहुत उलझन है
जीवन को तुम सुलझा दो
मेरी बस इतनी विनती है
हे प्रभु मुझे आत्मज्ञानी बना दो।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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