आत्ममंथन - कविता - शेखर कुमार रंजन

ए इंसान कभी तुम्हें भविष्य की चिंता सताती है
तो कभी तुम्हें अतीत की गलतियाँ रुलाती है
भूल जाओ क्या हुआ था अतीत में ,छोड़ो क्या होगा भविष्य में , 
मुस्कुराकर कहो , खुलकर आज को जिएँगे ।।

ए इंसान ना हम कल खुश थे , ना हम कल खुश होंगे , 
परेशानियाँ कल भी थी , परेशानियाँ कल भी होगी 
छोड़ो कल की परेशानियों को , देख लेंगे आने वाली परेशानियों को ,
इसलिए मुस्कुराकर कहो , खुलकर आज को जिएँगे ।

ए इंसान अतीत को हम बदल नहीं सकेंगे , 
भविष्य में जाकर सपनों को गढ़ नही सकेंगे । 
किन्तु उसे पूरा वर्तमान में कार्य करके ही करेंगे ,
इसलिए मुस्कुराकर कहो , खुलकर आज को जिएँगे ।

ना हम अतीत का सोचेंगे ,ना अब भविष्य मे जाकर सोचेंगे
वर्तमान में जिएंगे और वर्तमान का सोचेंगे।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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