आये अभिनव भोर - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

हटे   सकल  संताप  मन, आये  अभिनव  भोर।
नयी आश   नित  शक्ति हो, जीवन  यापन डोर।। 

है फिसलन इस जिंदगी , तजती  झट निज देह।
रत  हो  जाओ  कर्मपथ , पूर्ण  करो  सत् ध्येय।।

सदाचार   नित  विनत हो ,लोभ घृणा तज  हेय।
करो कार्य नित राष्ट्र हित , परहित सुख हो गेय।।

छोड़ो मत आगत दिवस , शेष रखो  मत काम।
पूर्ण  करो  कर्तव्य   को , न जाने कब विश्राम।। 

धन जीवन  अनमोल  है, कर लो कुछ परमार्थ।
धन जन तन रिश्ते यहाँ ,  अंत काल सब व्यर्थ।। 

भर दे जग मुस्कान को , सुष्मित करो निकुंज।
खुशियों से भर दे चमन,अमर कीर्ति अलिगूंज।।

अरुणिम बस सेवा वतन, परहित  है  सत्काम।
मिटे सकल निशि जिंदगी, मिले मुक्ति गोधाम।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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