नयी आश नित शक्ति हो, जीवन यापन डोर।।
है फिसलन इस जिंदगी , तजती झट निज देह।
रत हो जाओ कर्मपथ , पूर्ण करो सत् ध्येय।।
सदाचार नित विनत हो ,लोभ घृणा तज हेय।
करो कार्य नित राष्ट्र हित , परहित सुख हो गेय।।
छोड़ो मत आगत दिवस , शेष रखो मत काम।
पूर्ण करो कर्तव्य को , न जाने कब विश्राम।।
धन जीवन अनमोल है, कर लो कुछ परमार्थ।
धन जन तन रिश्ते यहाँ , अंत काल सब व्यर्थ।।
भर दे जग मुस्कान को , सुष्मित करो निकुंज।
खुशियों से भर दे चमन,अमर कीर्ति अलिगूंज।।
अरुणिम बस सेवा वतन, परहित है सत्काम।
मिटे सकल निशि जिंदगी, मिले मुक्ति गोधाम।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली