महिलाओं द्वारा प्रदत्त टास्क चैलेंज बना सकारात्मक संदेश - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला


हम कह सकते हैं कि इस समय कोरोनावायरस  के कहर से उपजे भयंकर वातावरण में महिलाओं द्वारा टास्क  चैलेंज के रूप में एक सकारात्मक संदेश अग्रसारित किया गया है । जिसने महिलाओं के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ है । वैसे भी महिलाओ के मनोविज्ञान के अनुसार सजना संवारना उनका नैसर्गिक गुण होता है ,जो उनमे उत्साह का संचार करता है  एवं सकारात्मकता से भरता है ।तभी तो दो या तीन साल की नन्ही बच्ची भी अपनी माँ के सिंगार  अपने चेहरे मे लगाकर  चुनरी सर से ओढ़ने लगती है ,अपनी फ्राक को लहंगे की तरह  घुमाती हुई आनंद महसूस करती है । 

लॉक डाउन के तहत महिलाओं द्वारा टास्क चैलेंज से यही संदेश मिलता है कि, बी पॉजिटिव ,थिंक पॉजिटिव, एवरीथिंग विल बी पॉजिटिव ,इसी थीम पर महिलाओं ने  अलग अलग प्रकार के टास्क देने शुरू किए ।-अलग अलग  प्रकार के दिए जाते रहे। कभी पूरा श्रृंगार ,तो कभी सादगी कभी भारतीय पहनावा तो कभी पश्चिमी शैली का पहनावा आदि का वीडियो  बनाने को दिया गया या फोटो अपलोड करने को कही गयी ।कभी डांसिंग  कभी सिंगिंग का वीडियो महिलाओं द्वारा बनाया जाता रहा और अपने सोशल मीडिया ग्रुप एवं व्हाट्सएप पर अपलोड किया जाता रहा । अपनी सखियों व रिश्तेदारों को टास्क देकर ,उन्हें भी इस भयंकर  नकारात्मकता के दौर में सकारात्मकता के लिए प्रेरित करती रही ।इस टास्क चैलेंज के रूप में  उनकी हौसला अफजाई का किया । महिलाओं द्वारा यह सारी कवायद की लॉक डाउन की बोरिंग को कम कर देने की मंशा से की गयी एवं ऊब देने वाली जीवनशैली में थोड़ा उत्साह भरने के उद्देश्य से की गई ।इससे जिंदगी थोड़ी सी रोमांचक लगने लगी ,क्योंकि हर वक्त घरों में कैद रहने और एक जैसी दिनचर्या से उबाऊ जीवन न बन जाये इस उद्देश्य से की गयी ,तो कुल मिलाकर महिलाओं द्वारा टास्क चैलेंज एक सकारात्मक संदेश के रूप में उभर कर आया । 

सुषमा दीक्षित शुक्ला

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