हनुमान गाथा - गीत - समुन्दर सिंह पंवार


तेरे कैसा राम भक्त और नही हनुमान जी
शंकर के अवतारी तेरी लीला बड़ी महान जी

चैत की पूर्णमासी नै अवतार आपने धारा
अंजनी माँ और पवन देव का तु सै राजदुलारा
संकट काटण भक्तो के तु मृतलोक में आहरा
भक्तो के हितकारी तैने पूजै जग यो सारा
अष्ट सिद्धि, नव निधि पाता, जो धरता तेरा ध्यान जी

फल समझ कै सूर्यदेव को तैने खाणा चाहा
राहु, केतु आये दौड़ कै उनको मार भगाया
ब्रम्हा जी नै ब्रम्हा अस्त्र फेर तेरे पै चलाया
टूट गई हनु तेरी तू हनुमान कहलाया
ब्रम्हा आदि सभी देवता, देगे तैने वरदान जी

श्री राम और सुग्रीव की मित्रता तैने कराई
सात समुद्र पार जा कै वा ढूंढी सिया माई
अक्षय कुमार को मारा और लंका तैने जलाई
पर्वत उठा कै ल्याये जब ना बूटी समझ में आई
सँजीवनि बूटी ल्या कै बचाई लक्ष्मण की या जान जी

अहिरावण को मार बचाई जान लखन और राम की
सीता जी नै खुश हो कै एक माला दई ईनाम की
तोड़ बगाई माला बोले कोन्या मेरे काम की
सीना फाड़ दिखाया जिसमे बैठे राम और जानकी
कहै समुन्दर सिंह विभीषण रहग्ये, देख कै हैरान जी

समुन्दर सिंह पंवार
रोहतक हरियाणा

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