सुंदर व्यक्तित्व वह माना जाता है जिसमें आंतरिक एवं बाह्य दोनों ही प्रकार के सौंदर्य का समावेश होता है ।वाकई लॉक डाउन ने लोगों के आंतरिक एवं वाह्य दोनों ही प्रकार के सौंदर्य का विकास किया है ।लॉक डाउन के तहत लोगों ने मानव धर्म को निभाना सीखा है । इसकी वजह से लोगों में नैतिक गुणों का विकास हुआ है अधिकतर लोगों के अंदर दयालुता,आपसी सामंजस्य की भावना, सहयोग की भावना, संयमित जीवन शैली व सहनशीलता ,परोपकार ,मैत्री, भाईचारा,और सेवा भाव विकसित हुए हैं ।
इस समय मे में लोगों ने कम पैसे में खर्च चला अपने अंदर मितव्ययता का गुण विकसित किया है एवं मानव सेवा को सर्वोपरि मानते हुए मानव धर्म निभाना सीखा है ।स्वदेश प्रेम, पारिवारिक निकटता, सौहार्द, आपसी लगाव को इस लॉक डाउन के कारण बढ़ावा मिला है , क्योंकि बहुत समय बाद लोग अपनों के साथ इस बहाने घरों में मिल सके । जो लोग विदेश में थे स्वदेश लौटे ,जो दूसरे राज्यों में थे , वह घर लौटे ।
सरकार द्वारा दिखाए जाने वाले रामायण और महाभारत आदि धार्मिक सीरियलों का भी मानवता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा और सभी लोगों से अधिक सदाचरण प्रिय बन गए। हाथ मिलाने की जगह नमस्कार करना ,साफ-सफाई रखना ये सब सुन्दर गुण है जो व्यक्तित्व निखारने मे सहायक है ,वह सब लॉक डाउन मे अपनाये जा रहे है ।
बीमारी के डर से ही सही लोग योग ,नियम संयम , पूजा पाठ, अध्यात्म का सहारा लेकर अपने आंतरिक व्यक्तित्व को विकसित करने में प्रयास कर रहे हैं ।लोगों में सृजनात्मकता व कलात्मकता को विकसित करने का अवसर मिला ,इस समय का लोगों ने भरपूर फायदा उठाया । किसी ने कला की अभिरुचि पूरी की किसी ने साहित्य सृजन के शौक पूरे किये तो किसी ने नृत्य ,गायन, वादन आदि कलाओं में महारत हासिल की ।कुछ लोगों ने ठीक प्रकार से अपनी बागवानी की देखभाल की ,कुछ लोगों में पशु पक्षियों और जानवरों पर दया की भावना विकसित हुई । महिलाओ ने तमाम तरह के व्यंजन बनाना सीखे व बनाये । किसी ने आपसी रिश्ते सुधार लिए।
इस प्रकार लोगों में तमाम प्रकार का आंतरिक सौदर्य विकसित हुआ ।
रही बात वाह्य सौदर्य की तो महिलाएं अपने सौंदर्य व फिटनेस की देखभाल भी इन दिनों ठीक से कर सकी। जिससे उनके सौंदर्य में निखार आया ।पुरुष वर्ग ने भी अपनी फिटनेस टिप्स और योगा, मनोरंजन आदि को अपनाकर अपने आंतरिक व बाहरी सौन्दर्य को विकसित किया है ।
कुल मिलाकर कर हम कह सकते हैं कि लॉक डाउन की चुनौतियों ने लोगों के व्यक्तित्व को निखारा है , पहले की अपेक्षा लोगों मे आंतरिक सौन्दर्य भी बढ़ा है व वाह्य सौन्दर्य भी बढा है ।
सुषमा दिक्षित शुक्ला