छंद कोरोना पे - प्रशांत अवस्थी


दोहा - 
कोरोना के कोप से,  हुआ  मनुज लाचार।
तालाबंदी हो गयी, रुका पड़ा संसार।।

चौपाई-
कोरोना ने पांव पसारे। डरे हुए हैं मानव सारे
हुई जगत में तालाबंदी। सबकी हालत कर दी मंदी।।

धरती पर आतंक मचा है। मास्क सुरक्षा कवच चला है।।
हाथ मिलाना है छुड़वाया। नमस्कार का युग फिर आया।।

दोहा -
कोरोना को रो रहा ,मानव नन्हीं जान।
सभी भयभीत हो रहे, निकल न जाए प्राण।।


प्रशांत अवस्थी ,औरैया

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos