भाई जैसा इस दुनियां में दूजा यार कहां - गीत - अशोक योगी "शास्त्री"

ग़र  छुपाने  पड़े  भाव भाई से  तो  प्यार कहां 
भाई  जैसा  इस   दुनियां  में  दूजा  यार  कहां।

सुवासित हो घर  आंगन  गर भाई  से भेद नहीं
ना महके  चंदन  वन तो  उपवन  में बयार कहां।

स्वार्थ  सिद्धि  पर अर्पित  किए सारे  रिश्ते  नाते 
बाईं भुजा को काटोगे तो सुंदर स्वप्न संसार कहां।

प्यार मुहब्बत आदर भाव रिश्तों के है ये आधार
इनसे मुंह तुम  फेरोगे  तो  जीवन का सार  कहां।

भाई  के  अपमान  पर  भाई  अगर  चुप रहता हो
उस भाई सा इस भूमि पर फिर कोई मक्कार कहां।

राम लखन  भरत शत्रुघ्न भाइयों के आदर्श यहां
जो भाई का भेद बता दे विभीषण सा गद्दार कहां ।

राज छुपाओगे तुम भाई से चालाकी होंशियारी से
जो  बोवोगे सो  पावोगे  सपने  होंगे साकार कहां ।

अशोक योगी "शास्त्री"
कालबा नारनौल

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