अब तेरा कौन करे प्रतिकार बताओ तो।
क्यों फिर जुल्मी हुई सरकार बताओ तो।।
कुछ दिन और भूखे
प्यासे हम रह लेते।
लॉकडाउन की सारी
कठनाई सह लेते।।
क्यों खोल दिए दारू के दरबार बताओ तो।
क्यों फिर जुल्मी हुई सरकार बताओ तो।।
क्या इससे अर्थव्यवस्था
सुधर गई होगी।
क्या G D P इससे
बढ़ सवर गई होगी।।
क्यो घरों में मचवाया हाहाकार बताओ तो।
क्यों फिर जुल्मी हुई सरकार बताओ तो।।
नशा मुक्त देश को करना है
यह क्यों बोले।
अपने पर ही अड़े रहते
फिर ठेके क्यों खोलें।।
क्यो फिर आफत कर दी हजार बताओ तो।
क्यों फिर जुल्मी हुई सरकार बताओ तो।।
खोल दिये मधुशाला
तो तुमने क्या जाना।
ठीक हो गए बीमार
क्या तुमने ये माना।।
क्यो व्यवस्था होने लगी लाचार बताओ तो।
क्यो फिर जुल्मी हुई सरकार बताओ तो।।
गोपाल पाण्डेय "आजाद"