जननी - गीत - समुन्दर सिंह पंवार



उपकार कदे ना भूलो उसका जिसने दुनिया दिखाई
भगवान के तुल्य हो सै जग में सुणल्यो जननी माई
नों महीने तु रखा गर्भ में ओटी सैं घणी काल्ली
ला छाती कै तनै अपणा वा दूध पिलावण आली
तेरे खातिर उसनै अपणी रत्न जवानी गवाई
अपणे मुँह तै काढ निवाला तेरे मुँह में दिया करती
तेरे ऊपर वार कै पाणी बार - बार वा पिया करती
तेरी खुशी तै बढ़कै उसनै और खुशी ना चाही
तेरी जिंदगी सवारण खातिर उसनै कष्ट भरे सैं
मार कै अपणा आपा तेरे सपने पूरे करें सैं
तेरे ऊपर लुटा दी उसनै अपणी कष्ट कमाई
सुबह उठकै माँ चरणों मे शीश झुकाना चाहिए
करकै सेवा माँ की अपणा भाग जगाना चाहिए
समुन्दर सिंह नै माँ की दया तै माँ की महिमा गाई

समुन्दर सिंह पंवार
रोहतक हरियाणा

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