जीवन एक व्यापार है - कविता - चीनू गिरि


जीवन एक व्यापार है ,
धैर्य इसका आधार है।
लाभ हानि होती रहती है,
धैर्य ना खोये वो ही समझदार है।
          जीवन एक व्यापार है

सुख दुख आते जाते है।
लोग दुख से डर जाते है,
सुख मे सब भूल जाते है।
ये ही जीवन चक्कर बारम्बार है।
          जीवन एक व्यपार है

कभी उधार की खुशियाँ ली ,
तो कभी स्वार्थी हो गये।
फिर भी हमे कितना गुरुर है,
सच कहुं यहाँ हर इंसान कर्जदार है।
          जीवन एक व्यापार है

जो समझ ना जीवन जीने का ढंग 
वो हो गया अपने जीवन से तंग 
धन को इतनी अहमियत ना दो 
लोभ माया से जीवन मे अंधकार है
          जीवन एक व्यापार है

धन के लोभ मे रिश्ते ना छुटे
कोई अपना कभी ना हमसे रुठे
प्यार अपनेपन से जीत लो दिल
इंसान के हाथों इसकी पतवार है
          जीवन एक व्यापार है

चीनू गिरि 
देहरादून उत्तराखंड

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