संदेश
विधा/विषय "ख़्याल"
अपने उनका ख़्याल - कविता - मुकेश वैष्णव
शनिवार, जून 17, 2023
अपनों की भूख छुपाने वो, गाँव से शहर निकला था, बच्चों की आँखों में नमी थी, और आसमान भी पिघला था। पत्नी की तो पूछो मत, वो, दरवाज़े पर आ…
माँ तेरा ख़्याल हैं - कविता - कर्मवीर सिरोवा
शनिवार, सितंबर 26, 2020
उदास शाम हैं न रंग हैं न छाँव हैं, मैं तन्हा हूँ, न पास शहर हैं न गाँव हैं।। मैं रो दूँ वक़्त, तुझमें न इतना जोर हैं, हँसा दे जिगरी व…