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विधा/विषय "मुसाफिर"
मुस्कुरा कर चल मुसाफ़िर - गीत - रमाकांत सोनी
गुरुवार, अप्रैल 08, 2021
मुस्कुराकर चल मुसाफ़िर, राह आसाँ बनाता जा। सद्भावो की खोल पोटली, जग में प्यार लुटाता जा। दीन दुखी को गले लगाकर, सबका मन हर्षाता जा। कंट…
मुसाफ़िर - ग़ज़ल - अज़हर अली इमरोज़
गुरुवार, जनवरी 14, 2021
क्यों मिलने की बन्दिश में रहते हैं, हम तिलस्म के लरजिश में रहते हैं। ना जाने कितनों ने घेरा मुझको अब तो खुद की गर्दिश में रहते हैं। स…
मुसाफ़िर - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
बुधवार, नवंबर 25, 2020
मुसाफिर की तरह है इंसान यहाँ, सबके हैं अपने-अपने काम यहाँ। सब मशरूफ अपनी ज़रूरत में, कोई मुहब्बत में कोई नफरत में, जीना-मरना भी भूल रह…
मुसाफिर - ग़ज़ल - दिलशेर "दिल"
शुक्रवार, जुलाई 17, 2020
रात के मुसाफ़िर हैं, सुब्हा चले जायेंगे। प्यार से पुकारोगे, फिर से लौट आएंगे।। सुब्हा फिर समन्दर है, कश्तियाँ है, पानी है। रात…