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विधा/विषय "साँप"
मैं पीले साँप की जात में शामिल हो गया हूँ - कविता - सुरेन्द्र जिन्सी
सोमवार, जुलाई 07, 2025
रात को सोया तो लगा जैसे बिस्तर कोई पुराना जंगल हो उसमें रेंगते हैं मेरे अपने पाप, मेरे ही पसीने से नम हुई घास, और एक पीला साँप — ठीक म…
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