संदेश
विधा/विषय "शहर"
मैं शहरी हो गया - कविता - संजय राजभर "समित"
मंगलवार, मार्च 23, 2021
जब कोई परदेशी गाँव आता था मिठाई, कपड़े घरेलू रोज़मर्रा की चीज़ें लाता था, जिसके घर आते थे उसके बच्चों में खुशियों की लहर दौड़ उठती थ…
तेरे शहर में हूँ - कविता - अंकुर सिंह
शुक्रवार, जनवरी 01, 2021
जब-जब तुम्हारे शहर में होता हूँ, तुम्हारी याद आ ही जाती है। भले चंद घंटे रही मुलाक़ात हमारी, फिर भी तुम्हारी याद आ जाती है।। पता हैं मु…