संदेश
विधा/विषय "पहचान"
पहचान - कविता - विजय कुमार सिन्हा
गुरुवार, नवंबर 03, 2022
माँ ने जन्म दिया बाबूजी ने मज़बूत हाथों का सहारा तब बनी मेरी पहली पहचान। गाँव से निकलकर शहर में आया चकाचौंध भरी रौशनी तो मिली पर ना मिल…
कैसी है पहचान तुम्हारी - कविता - राघवेंद्र सिंह
बुधवार, फ़रवरी 09, 2022
कैसी है पहचान तुम्हारी कहाँ तुम्हारा बना निलय? मुझे बताओ अश्व समय के करना है मुझे तुम्हें विजय। दाँव लगाने सामर्थ्य की तुम चार पाँव से…
पहचान - ग़ज़ल - सलिल सरोज
शुक्रवार, सितंबर 18, 2020
हर बात पे यूँ हंगामा नहीं किया जाता प्यास लगने पे समंदर नहीं पिया जाता बात जिन्दगी की है, सोचना पड़ता है बेटियों का हाथ यूँ ही नहीं द…