संदेश
विधा/विषय "चेहरा"
चेहरे चेहरे कितने चेहरे - कविता - सुनीता रानी राठौर
शनिवार, अगस्त 22, 2020
देखते हैं हर तरफ अनेकों चेहरे, पढ़ पाते बनावटी किसके चेहरे? दिखते कभी बारह- बजते चेहरे, कभी हसीं वादियों से खिले चेहरे। भलेमान…
चांद सा चेहरा - ग़ज़ल - समुन्दर सिंह पंवार
शनिवार, मई 09, 2020
देख कर तेरा चाँद सा चेहरा दिल ये पागल हो गया मेरा जब बिखराती है मुखड़े पे जुल्फे हो जाता है चारों तरफ अँधेरा देख कर तेरी नागिन…