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विधा/विषय "आईना"
आईने में क्या रखा है - ग़ज़ल - प्रवीन "पथिक"
बुधवार, जनवरी 27, 2021
चाँद-से चेहरे को तारों से सजा रखा है। अपने प्रियतम को पलकों में छुपा रखा है।। भूल न पाऊँगा तुझको किसी भी सूरत में। अब तो तेरी यादों का…
आईना - कविता - मास्टर भूताराम जाखल
मंगलवार, अक्तूबर 20, 2020
आईना है जो सदैव हकीकत बताता हूँ, इन्सान को खुद की अहमियत बताता हूँ । गुण-दोषों की वह समालोचना करता है, सच कहने से वो तनिक भी नहीं डरता…
समाज का आईना - कविता - सूर्य मणि दूबे "सूर्य"
सोमवार, सितंबर 07, 2020
औरत है तुम्हारे समाज का आईना, खुद को देखो और पहचानों। कैसे दिखते हो तुम असल में, अपनी असलियत भी जानों।। कुछ शब्दो की माला, ये क…