सम्पादकीय - सैयद इंतज़ार अहमद
दिनांक : 27 अप्रैल 2021
प्रिय पाठक,
आज हर तरफ निराशा व्याप्त है, हर चेहरे पर भय और तनाव झलक रहा है। समाज का कुछ वर्ग तो इतना टूट चुका है कि फिर से खड़े होने की हिम्मत भी खो बैठा है। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो घोर असमंजस की स्थिति में जी रहे हैं। सबके सामने एक ही सवाल है कि कल क्या होगा? अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए चिंतित है, तो कामगार अपनी कमाई के लिए चिंतित है। पिछले वर्ष की दुःखद स्मृति को ज़ेहन से निकाल पाना मुश्किल था ही कि वर्तमान वर्ष भी अनगिनत अनिश्चितताओं को सामने लेकर खड़ा हो गया। वर्तमान स्तिथि को लेकर हर वर्ग अपने-अपने विचार व्यक्त कर रहा है। एक तरफ़ इसे आपदा माना जा रहा है तो जमाखोरों के लिए अवसर से कम भी नहीं लग रहा है।
नकारात्मकता के इस दौड़ में सकारात्मक विचारों की एक किरण भी इंसानों के लिए इम्युनिटी बूस्टर का काम कर जाती है। कुछ हास्य-व्यंग्य की बातें, कुछ बीते दिनों की यादें, अपनों के साथ बिताए पल, जीवन के सुखद हलचल, मानस पटल पर खुशी की लहर दौड़ा जाते हैं। मित्रों से की गई दुःख-सुख की बातें, साहित्य से लिया गया रस भी इन्हीं नुस्खों में से हैं।
समय के साथ-साथ हमारे व्यवहार इस प्रकार बदल गए हैं कि हम ख़ुद भी समझ नहीं पाते कि हम कहाँ आकर खड़े हो गए हैं। जब कभी इन बातों को सोचना शुरू करते हैं तो विचारों के जंजाल में उलझते चले जाते हैं और फिर हमारी अंतरात्मा कह उठती है कि चलो आगे की तरफ़ सोचों और हम लग जाते हैं अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने में।
हमें अब लगने लगा है कि वर्तमान परिस्थितियों के ज़िम्मेदार हम स्वयं ही हैं। न हमने अपनी ज़रूरतों को असीमित किया होता न ही हमारा सुख चैन खोया होता। एक तरफ़ हमने सब सेट कर लिया बस सबको सेट करते-करते अपना माइंड अपसेट कर लिया।
ज़रूरत है अपनों के करीब आने की, कुछ पल माँ के आँचल में सो जाने की, दोस्तों से बतियाने की, बच्चों को कहानियाँ सुनाने की, कल की चिंता को भुलाने की, आज को जीवंत बनाने की।
बस तो देर किस बात की है शुरू कर दीजिए निराशाओं के बीच आशा की किरण बिखेरना।
आपका
सैयद इंतज़ार अहमद
सम्पादक - साहित्य रचना ई-पत्रिका
★★★
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर