कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा - गीत - प्रवेश कुमार धानका

कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा - गीत - प्रवेश कुमार धानका | Diwali Poem / Geet - Kuchh Diye Khaas Jalaaunga - Pravesh Kumar Dhanka. दीवाली पर कविता
दीपावली का प्रकाश पर्व, मैं भी मनाऊँगा,
इस बार दिवाली पर, कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा।
इस बार दिवाली पर कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा॥

जलाऊँगा एक दीया ग़रीब का,
जो खाता है अपने नसीब का।
सरकारें कुछ करती नहीं,
ग़रीबी उनकी मिटती नहीं।
दूर हो ग़रीबी, ऐसी उम्मीद जगाऊँगा॥

इस बार दिवाली पर, कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा,
इस बार दिवाली पर कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा।
           
जलेगा एक दीया अबला नारियों का,
क़सूर कुछ भी नहीं उन बेचारियों का।
आए दिन धक्के खा रही हैं,
दहेज के लिए मारी जा रही हैं।
अबला नारी हो सबला ये ही तो मैं चाहूँगा॥

इस बार दिवाली पर, कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा,
इस बार दिवाली पर कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा।

जलेगा एक दीया उस मेहनती किसान का,
मूल्य नहीं पूरा मिलता, जिसको अपने धान का।
सर्दी-गर्मी में दुःख पाकर अन्न वह उपजाता है,
इतनी मेहनत का वो सारा कौड़ी में बिक जाता है।
किसान रहे ख़ुशहाली में, मैं गीत ख़ुशी के गाऊँगा॥

इस बार दिवाली पर, कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा,
इस बार दिवाली पर कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा।

दीया जलाऊँगा उस दलित के नाम का,
कौड़ी से भी सस्ता है, मूल्य जिसकी चाम का।
मूँछ रखे, घोड़ी पर बैठे,मटके को जब हाथ लगाए,
पीट-पीट चाम उतारी, अब बलशाली से कौन बचाए?
प्रकाशित हो दिया बोलेगा, अब भेदभाव मिटाऊँगा॥

इस बार दिवाली पर, कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा,
इस बार दिवाली पर कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा।

एक दीया जलेगा मज़दूर का
उपेक्षित, शोषित, मजबूर का।
ये सब के सब परेशान हैं,
सरकारें देती नहीं ध्यान हैं।
इनकी पीड़ा मज़बूती से, अब मैं उठाऊँगा॥

इस बार दिवाली पर, कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा,
इस बार दिवाली पर कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा।

दीया एक सैनिक के नाम,
जो आता है देश के काम।
आज वीर सैनिक घबरा रहे हैं,
क्योंकि नेता सवाल उठा रहे हैं।
आज जाकर के सीमा पर, सैनिक को गले लगाऊँगा॥

इस बार दिवाली पर, कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा,
इस बार दिवाली पर कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा।

बड़ा-सा दीया राष्ट्र समृद्धि के लिए,
बचाने बिगड़ती संस्कृति के लिए।
विश्व में भारत की प्रसिद्धि के लिए,
देश में धन-धान्य की वृद्धि के लिए।
इन सबके लिए दीये जलाकर, मैं प्रकाश दिखाऊँगा॥

इस बार दिवाली पर, कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा,
इस बार दिवाली पर कुछ दीये ख़ास जलाऊँगा।

प्रवेश कुमार धानका - अलवर (राजस्थान)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos