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आज़ादी का जश्न मनाएँ - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | Independence Day Poetry Hindi
आज़ादी का जश्न मनाएँ - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | Independence Day Poetry Hindi
बुधवार, अगस्त 13, 2025
आज़ादी का जश्न मनाएँ बलिदानों की गाथा गाएँ।
राष्ट्र पहले हमेशा पहले राष्ट्र धर्म पथ हम बढ़ जाएँ।
गूंजित हो चहुँ दिशा देश जय, वन्दे भारत जन जन गाएँ।
अरुणोदय स्वाधीन वतन का मधु अमृत समरसता लाएँ।
त्याग तपस्या संघर्षक पथ शोषित शोषण भी मुस्काएँ।
अनाचार और कदाचार रत मीसा कारा तम भटकाएँ।
आर्तनाद पीड़ा अन्तर्मन भूख प्यास बिन बसन रुलाए।
पल पल नारी चीरहरण दुख, मानवता भी ख़ुद शर्माए।
जाति धर्म भाषा ज़मीन में, घृणा द्वेष छल कपट सुहाए।
भ्रष्टाचार रत लूट गबन में, आज़ादी का ज़श्न मनाएँ।
ज्ञान विविधता भटके यौवन, भविष्य अँधेरे में ख़ुद पाएँ।
मँहगाई की मार चोट से, अमृत उत्सव भी सिहराए।
बदज़ुबानियों में हम बहके, राष्ट्र द्रोह करके मुस्काए।
हत्या दंगा निन्दा नफ़रत, आज़ादी का जश्न बनाएँ।
नग्न नृत्य अन्तर्मन सिसकी, राजनीति की गूल खिलाएँ।
आज़ादी का उत्सव पावन, राष्ट्र तिरंगा हम लहराएँ।
सार्वभौम गणतन्त्र मुदित हम, ध्वजा तिरंगा कहँ लहराएँ।
कालचक्र आदेश आज फिर, रक्षा आज़ादी कर पाएँ।
समता ममता शिक्षा करुणा, राष्ट्रप्रेम अभिव्यक्ति दिखाएँ।
दया धर्म रत क्षमाशील दिल, नवल शौर्य बल यश हम गाएँ।
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