कल आएगा सुखद सबेरा - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'

कल आएगा सुखद सबेरा - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' | Muktak - Kal Aayega Sukhad Sabera. सुखद सवेरा पर मुक्तक रचना
आज अंधेरा है जीवन में कल आएगा सुखद सबेरा।
मत निराश हो धैर्य तुम्हारा काटेगा तम का घेरा।
रुके नहीं साधना तुम्हारी निशिवासर श्रम बिन्दु बहाना–
बढ़ो 'अंशुमाली' आशा ले त्वरित मिलेगा तुम्हें बसेरा।

शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फ़तेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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