हाथी घोड़ा पालकी, मदन गोपाल की - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सोमवार, अगस्त 26, 2024
देवकीनंदन वासुदेव नंद गोपाल यशोदा लाल की।
ब्रज में कृष्ण कन्हैया आयो, सुखसागर जगपाल की।
नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की।
यशोमती की गोद भरे मदनमोहन गोपाल की।
गाजा बाजा गोकुल बाजे, नटवर नन्दलाल की।
घुटरुनु मन मुकुन्द चले, श्याम बिहारी लाल की।
जय हाथी घोड़ा पालकी, गिरिधर मदन गोपाल की।
झूला झूलन यशोदा देखे, मनमोहन झूलेलाल की।
गोकुल में सब आनंद भयो, देख कन्हैयालाल की।
छोटे छोटे हाथ में लियो, मुख मिसरी माखनलाल की।
सब ग्वालन ग्वालन मुस्काए, मुख चारु मनोहर लाल की।
बालापति हरि देख रहे हैं, दोऊ कमलनयन घनश्याम की।
मायापति लीलाधर कान्हा, मातृ स्नेह सिन्धु सुखधाम की।
रुनझुन रुनझुन घुँघरू बाजे, हाथ मुरलिया सुन्दर श्याम की।
गोकुल गौअन कान्हा देखे, मुख चाट रहे लाल गोपाल की।
भाद्रमास घन गोकुल भावै, गिरधारी गोवर्द्धन लाल की।
रंगरसिया ब्रजवसिया ग्वालन, मन लखि दामोदर लाल की।
चंचल नटखट बालरूप प्रभु, जय जय मोहक नटवरलाल की।
पीतांबर रेणु तनु मण्डित शुभ दामोदर नटवरलाल की।
दाऊ देखि मुस्कान मनोहर शिशु रूप कन्हैयालाल की।
पालनहार स्वयं लीलाधर बने बाल कृष्ण गाल रसाल की।
योगेश्वर रणछोड़ नंद मन, लखि चारुचंद्र यशोदा लाल की।
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