बढ़ते रहो पथिक सदा - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'

बढ़ते रहो पथिक सदा - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' | Motivational Kundaliya Chhand - Badhate Raho Pathik Sada | प्रेरणादायक कुण्डलिया छंद
बढ़ते रहो पथिक सदा, धरि धीरज की डोर।
स्नेह प्रेम ममता लिए, सबहिं रखो हृद कोर॥

सबहिं रखो हृद कोर, शान्ति संयम को धारो।
सीखो सहना पीर, अरे मन! कबहुं न हारो॥

चलो चीर नद नार, राह नव गढ़ते-गढ़ते।
छुओ लक्ष्य के पाँव, धरा से नभ को बढ़ते॥

शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फ़तेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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