पथ सहज नहीं रणधीर - कविता - श्रवण सिंह अहिरवार

पथ सहज नहीं रणधीर - कविता - श्रवण सिंह अहिरवार | Hindi Prerak Kavita - Path Sahaj Nahin Randhir - Shravan Singh Ahirwar
अपनी जीत पर अधिक
उल्लास ना कर,
मंज़िल अभी आगे है
यह नज़र-अंदाज़ न कर,
कर्तव्य पथ में बिखरे हैं
शूल अनंत यह ध्यान धर,
पथ सहज नहीं रणधीर
ये संज्ञान कर।

अभिमान नहीं संघर्षी
तू स्वाभिमान कर,
प्रतिकार नहीं रणधीर
तू अपकार कर,
हर तबके का निस्वार्थ
तू उत्थान कर,
निज प्रेम प्रफुल्लित होकर
ग़रीब का तू सम्मान कर।

बाल मज़दूरी करते बच्चों का
तू उद्धार कर,
लाना है शिक्षा के मंदिर में
इन्हें, तू कुछ कर,
भर आत्मविश्वास इनमें,
शिक्षित होने का, तू इतना कर।

अवरुद्ध हुए मार्गों का
तू नव निर्माण कर,
संकीर्ण मानसिक विचारों का
तू प्रत्याहार कर,
नवीन ज्ञान का उनमें
तू संचार कर,
मंज़िल अभी और आगे है
तू ये संज्ञान कर।

बस हृदय में अपने ठान ले
कठिन पथ को सरल कर,
अशिक्षित को शिक्षित
अज्ञानी को तू निर्देशित कर।

मंज़िल जब हट कर सोची
जाती है, ये स्मृति धर,
सफलता जीवन की कहानी
बन जाती है, तू चिंतन कर।

श्रवण सिंह अहिरवार - चंदेरी, अशोकनगर (मध्यप्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos