वसन्त पञ्चमी - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

वसन्त पञ्चमी - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | Hindi Kavita - Vasant Panchami. Hindi Poem On Vasant Panchami. वसन्त पँचमी पर हिंदी कविता
नव वसन्त तिथि पञ्चमी शुभा, पावन दिन मधुमास मधुर है।
पूजन अर्चन विनत ज्ञानदा, विद्याधन अभिलास मधुर है।
सरस्वती माॅं भारत मुदिता, हंसवाहिनी अम्ब जगत है।
धवल पुष्प धारित श्वेत वसन, ज्ञान सिन्धु जगदम्ब सतत है।
लय गति सुर धुन तालित ललिता, चतुर्वेद आधार जगत् है।
विद्या चौदह हेतु जगत माँ, सरस्वती माॅं सुखदायक है।
भक्ति प्रेम रस भाव विनत मन, करूँ आरती जगदम्बा है।
पाऊँ ज्ञानालोक सुयश मन, शरणागत माँ अवलम्बा है।
शीश नवल गहूँ आम्र मुकुल, ऋतु फल तृण बेलपत्र पुष्प है।
श्रीखंड चन्दन श्वेत वसना, पूजन माता दीप धूप है।
वीणा पाणी शारदे शुभ्रा, स्वागत माघी ऋतु वसन्त है।
दे पूत वर माॅं अपराजिते, ज्ञानसिन्धु गरिमा अनन्त है।
दे वीणा स्वर ज्ञान सिन्धु माँ, बजा तार जो मधुरिम स्वर है।
सदाचार संस्कार मनुज दे, सजा ज्ञान शृंगारित रब है।
शारदा शरदाम्बुज शुभदे, हरो तिमिर अज्ञान शोक है।
शान्ति सुखद मुस्कान सुयश जग, दो विद्याधन रत्न लोक है।
पाप त्रिविध संसार तप्त जग, मिटा तिमिर दे दिव्य ज्ञान है।
देशभक्ति अनुराग हृदय नित, जन -सेवा ही महादान है।
वसन्तोत्सव प्रमुदित हृदया माँ, नया शोध प्रेरक उन्नत है।
मानव मूल्यक बन पथ सारथ, चलूँ प्रीति पथ, बस मिन्नत है।
दया क्षमा करुणा हृदयस्थल, साहस धीर विनीत नीत है।
कर्मवीर संयम यायावर, वर दे माॅं जगमीत गीत है।
वासन्तिक जीवन ज्ञान मुदित, कुसुमित विद्या मन सुगन्ध है।
लोभ शोक मद मोह धन तजूॅं, मनुज आज फॅंस स्वार्थान्ध है।
अर्पित सरसिज चरण वन्दना, मातु भारती कल्याणी है।
तिथि वसन्त शुभ पञ्चमी दिवस, विपद लोक से जन त्राणी है।
सदा सर्वदा पूज्य शारदा, कृपासिंधु यशलोक स्रोत है।
ब्रह्माणी महाशक्ति विजया, अज्ञानी तम ग्रस्त शोक है।
वर दे अम्ब वीणावादिनी, मंगलमय ऋतुराज उदय हो।
खिले कीर्ति की अरुणिम बेला, हरित क्रांति शुभ भारतमय हो।


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