गोवर्धन पूजा - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

गौ माता ममता हृदय तुल्य, अपर मातु सन्तान समझ लो। 
धवल स्वच्छ निर्मल मधुर सरस, गाय दूध वरदान समझ लो। 
गौ धन सर्वोत्तम जगत पूज्य, पोषक क्षीर जहान समझ लो। 
देवी माता गौ यहाॅं श्रेष्ठ हैं, पूजित सम्मान समझ लो। 
गौ हिंसा अब बंद राष्ट्र हो, बने सख़्त क़ानून समझ लो। 
गौ रक्षण कर्त्तव्य मनुज हो, सेवन गाय जुनून समझ लो। 
आदि काल से रीति अबतलक, पूजनीय गोलोक समझ लो। 
गाय दूध पोषित लोक मनुज, हरे रोग मन शोक समझ लो। 
गोवर्धन पावन दिवस मनुज, अन्नकूट हरि भोग समझ लो। 
ब्रजनंदन पूजन विनत सदा, प्रीति भक्ति मन योग समझ लो। 
गोधन की पूजा मनुज करें, करें धेनु शृंगार समझ लो। 
अहंकार देवेंद्र इन्द्र का, किया कृष्ण संहार समझ लो। 
गोधन की महिमा विरत लोक, देख कुपित गोपाल समझ लो। 
खाई गोधन की शपथ कृष्ण, पूत यशोदा लाल समझ लो। 
गौ गोबर की चारु अल्पना, रच गोवर्धननाथ समझ लो। 
आंगन पूजन गाय हो विनत, कृपासिंधु हरि साथ समझ लो। 
बना भक्त ख़ुद पाक हाथ से, माधव छप्पन भोग समझ लो। 
पूजा गोवर्धन शिखर पुण्य, शुक्ल प्रतिपदा योग समझ लो। 
एक दिन बाद दीपावली, गोवर्धन पर्व विधान समझ लो। 
सनातनी द्वापर प्रथा पुरा, गोवर्धन भगवान समझ लो। 
प्रथम कार्तिक प्रतिपदा पुण्य, शुक्ल पक्ष प्रारंभ समझ लो। 
शारद माधव करें अर्चना, मिटे मनुज हिय दंभ समझ लो। 
गोधन अपरा अम्ब सनातन, ममता करुणागार समझ लो। 
पुण्या पूज्या वत्सल हृदया, द्विज भगिनी उपहार समझ लो। 
सबका है कर्तव्य देश में, गौ रक्षण सम्मान समझ लो। 
सेवा हो धेनु मातृ समान, मिले विभव सम्मान समझ लो। 
गोपालक गोपाल लाल प्रभु, कृष्ण गोकुलानन्द समझ लो। 
धन वैभव यश आयु आत्मबल, खिले सुखद मकरन्द समझ लो। 
उठा करांगुली कनिष्ठिका, गोवर्धन हरि हाथ समझ लो। 
इन्द्र कोप वर्षा प्रलयंकर, रक्षित गोकुलनाथ समझ लो। 
करुणानिधि श्रीकृष्ण सखा ही, करुणामय करुणेश समझ लो। 
करो कृष्ण नटवर भजन हृदय, मन मुकुन्द हृषिकेश समझ लो। 
गौ पूजा पुरुषार्थ सर्वप्रथम, ध्येय पुण्य परमार्थ समझ लो। 
यह पशुधन रक्षण पुण्य दिवस, कृष्ण जन्म धर्मार्थ समझ लो। 
बहिन श्रोत्रिय विप्र सहोदर, मानक ब्राह्मण मोल समझ लो। 
परमारथ जीवन युगल विश्व, गौ द्विज समरस घोल समझ लो। 
गोधन गोवर्धन युगल पूज्य, मनुज लोक अभिराम समझ लो। 
हियतल भज भक्ति प्रणय चरण, चारु कृष्ण अविराम समझ लो। 
भज रे मन गोविन्द कृष्ण को, भज गोवर्धन नाथ समझ लो। 
गोधन गोपालक कृष्ण भजो, केशव कृपानिधान समझ लो। 

डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' - नई दिल्ली (दिल्ली)

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