चाहता हूँ - कविता - गणेश भारद्वाज

चाहता हूँ - कविता - गणेश भारद्वाज | Hindi Kavita - Chaahta Hoon - Ganesh Bhardwaj. चाहत पर हिंदी कविता
जाने दो मुझे, चाँद के घर
थोड़ी शीतलता उधार
लाना चाहता हूँ।

उतरने दो मुझे, थोड़ा और गहरा
मोती सागर तल से
लाना चाहता हूँ।

गाने दो मुझे, गीत प्रेम दया के
हृदय सबके मैं
समाना चाहता हूँ।

प्रपंचों में नहीं पड़ना मुझे
मानव हूँ, मानव को गले 
लगाना चाहता हूँ।

मक्खियों सा भिनभिनाना
नहीं काम मेरा, एक फूल हूँ मैं
मुस्कुराना चाहता हूँ।

तालाब मटमैला नहीं
बनना मुझे, धारा हूँ नदिया की
बहना चाहता हूँ।

सीमा में आज नहीं
बंधना मुझे, हवा हूँ बसंती
हवा सा बस रहना चाहता हूँ।


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