एक फ़ितरत सी हो गई है - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा

एक फ़ितरत सी हो गई है - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा | Hindi Kavita - Ek Fitrat Si Ho Gayee Hai - Hemant Kumar Sharma. चुप्पी पर कविता
एक फ़ितरत सी हो गई है,
चुप्प रहना।

कितने मकानों की कथा,
चिल्लाती ऑंखों की व्यथा।
बस फँस गई है,
भूल गया कहना।

खारी बूँदों से भरी,
पत्तियाँ मुरझाईं,
पर दिखती हरी।
ठिठक फूल की, 
मुस्कान काँटों की,
व्यक्त नहीं,
चुभन सहना।

छूट गई हल की बात,
विस्मृत,
आकाश की ओर फैले हाथ।
याद रहे अपने दुख,
अपने सुख।
देख ना पाया,
धूप में जलते तन का संताप,
ऑंखों की सुध नहीं,
दिखा बस नदी का बहना।

हेमन्त कुमार शर्मा - कोना, नानकपुर (हरियाणा)

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