आया राखी त्यौहार रे - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

आया राखी त्यौहार रे - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | Rakshabandhan Hindi Geet - Aaya Raakhi Tyohaar Re. रक्षाबंधन पर हिंदी गीत कविता
लेकर पावन प्रेम सौग़ात, आया राखी त्यौहार रे।
सावन पावन पूर्णिम उत्सव, भाई बहना गुलज़ार रे।

आओ बहना साथ मुदित मन, अभिलाषा रक्षा बन्धन रे।
छिपा भाई को स्नेह चमन में, डोर रेशमी शिर चन्दन रे।

एक एक धागे के ऋण को, भाई चुकाए हर पल मान रे।
कोमल हृदया बहना लतिका, भाई चित्त चारु मुस्कान रे।

बाँधू तुम्हें प्रीति की डोर, भैया हृदय पर्व पावन रे।
नहलाऊँ स्नेहिल शीतल रस, राखी बन्धन मधु सावन रे।

नव उमंग उत्साहित बचपन, राखी डोर हाथ भावन रे।
पर्व सनातन गाथा स्वर्णिम, विश्वास प्रीत हिय पावन रे।

लखि भाई ख़ुशियाँ चहके मन, मातृ नेह बहना अनुपम रे।
समरसता सद्भाव सहोदर, राखी बन्धन शुभ सरगम रे।

सतरंगी शुभ डोर है रेशम, रक्षा सूत्र विश्वास कवच रे।
जन्म जन्म बहना दिल उपवन, प्रेम सुरभि भाई का सच रे।

बाज़ारों में सज शुभ मंगल, विविध चारु रक्षा बन्धन रे।
चन्दन अक्षत थाली आरत, धूप दीप सुरभित वन्दन रे।

चित्त चकोरी अभिनव कोमल, भातृस्नेह उपहार रमण रे।
स्वादु मधुर भोजन हिय भावन, भाई बहन गुलज़ारे मन रे।

रेशम डोर मुदित मन भावन, सप्त सिन्धु सम अपनापन रे।
पुरा काल से मुगल हिमायुॅं, आशीर्वादी प्रीत मिलन रे।


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