देवशयनी एकादशी है
चातुर्मास लगा।
मंगल कार्य
नहीं हो सकते।
पर्यंक पे
नहीं सो सकते॥
बेगैरत उनने माना
हमको ख़ास लगा।
अधिकारी की
बल्ले-बल्ले।
और हम पड़े
रहे निठल्ले॥
बात-बात पर रो देते
हमको हास लगा।
नैतिकता को
दाग़ लगा है।
सौतेला सा
आज सगा है॥
है क्या घटने वाला
ज़रा सा क़यास लगा।