सुबह - कविता - संजय राजभर 'समित'

सूरज का 
नियति समय पर उदय होना
सुबह नहीं है
यह एक प्राकृतिक चक्र है
और कुछ नहीं, 

सुबह
मानवतावादी होना 
और
अच्छे संस्कारों का बीजारोपण है
जो हमेशा
तरोताज़ा रखता है। 


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