नया आँचल नई मुस्कान - कविता - विजय कुमार सिन्हा
गुरुवार, जुलाई 13, 2023
कलाइयों में भरी हुई चूड़ियाँ
पाँवों में पाज़ेब
ललाट पर बड़ी सी बिंदिया
माँग में सिंदूर
बदन पे भरे हुए आभूषण
माँ-पापा के द्वारा पसंद किए गए राजकुमार संग
सभी के शुभ आशीर्वाद से
परिणय सूत्र में बंधकर
बिटिया रानी अपने जीवन साथी के साथ चली अपने नए घर में।
वहाँ सब कुछ नया होगा
नए जीवन की शुरुआत होगी।
माँ-पापा की राजकुमारी व बिटिया रानी,
जिस ममतामयी आँचल के नीचे
पली-बढ़ी,
उस आँचल से निकलकर
जा रही है एक नए आँचल के छाँव में।
ख़ुशबूओं से भर देगी वह
अपने नए संसार को।
घर में कहलाती थी बिटिया रानी
अब कहलाएगी बहुरानी।
माँ के घर भी थी रानी
सासूमाँ के घर भी रहेगी रानी।
बहु के साथ साथ वह बेटी भी कहलाएगी,
और वही प्यार दुलार पाएगी
जो घर की बिटिया को मिलता है।
बहु के रूप में बेटी को पाना
है जीवन की बड़ी ख़ुशी।
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