डॉ॰ नेत्रपाल मलिक - अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)
मेरा देवता मौन है कई दिनों से - कविता - डॉ॰ नेत्रपाल मलिक
शनिवार, जुलाई 08, 2023
हे मन्दिर के पुजारी!
नाराज़ तो हुए होंगे मुझसे
कि नैवेद्य के समय
चित में अर्पण नहीं था।
हे सरसों, गुलाब, नर्गिस और डेज़ी के फूल!
नाराज़ तो हुए होंगे मुझसे
कि वसन्त में
पतझड़ के गीत लिखे।
हे कोयल, मैना, बुलबुल और गौरैया!
नाराज़ तो हुए होंगे मुझसे
कि कलरव में
सन्नाटा देखा।
हे वीणा, बाँसुरी, ढोल और मजीरा
नाराज़ तो हुए होंगे मुझसे
कि नाद
बिन स्पन्दन के लौट गई।
हे वैरागी, ऋतुराज, नभचर और अनुनादी!
माफ़ करना मुझे
कि मेरा देवता (प्रिय)
मौन है कई दिनों से…
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर