जवाँ मदहोश आँखों में - गीत - सुधीरा

जवाँ मदहोश आँखों में,
छुपी है नीर की बदली, छुपी है नीर की बदली।
ये अंदर से भरी हुई,
ये दिखती है जो इक पगली, ये दिखती है जो इक पगली।
जवाँ मदहोश आँखों में,
छुपी है नीर की बदली, छुपी है नीर की बदली।

ये लब ख़ामोश हैं लेकिन यहाँ इक बात रहती है,
कहीं चुपचाप कमरे में ये आँखें बहती रहती हैं।
तुम्हारे सामने आँखें लगे बदली लगे बदली,
लगे बदली लगे बदली।
जवाँ मदहोश आँखों में,
छुपी है नीर की बदली, छुपी है नीर की बदली।

उठेगा दर्द सीने में तो फिर इक बात ये होगी,
ज़ुबाँ पे दर्द आएगा आँखें बरसात में होंगी।
कहीं साजन की आँखें नम, कहीं रोई बहुत सजनी,
कहीं रोई बहुत सजनी।

जवाँ मदहोश आँखों में,
छुपी है नीर की बदली, छुपी है नीर की बदली।
ये अंदर से भरी हुई,
ये दिखती है जो इक पगली, ये दिखती है जो इक पगली।
जवाँ मदहोश आँखों में,
छुपी है नीर की बदली, छुपी है नीर की बदली।

सुधीरा - गुरुग्राम (हरियाणा)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos