आशाराम मीणा - कोटा (राजस्थान)
होली आई - कविता - आशाराम मीणा
मंगलवार, मार्च 07, 2023
लंबी रातें छोटी हो गई मौसम ने ली अँगड़ाई,
शरद ऋतु ने ली रवानी बसंत की आहट आई।
सतरंगी मौसम में देखो होली आई होली आई॥
सुनहरी फ़सलें खेतों में नव यौवन सी लहराई,
उड़े पखेरू खालियानों में चिड़िया भी चहचाई।
सतरंगी मौसम में देखो होली आई होली आई॥
फागन के रंगों से राधारानी पिचकारी भर लाई,
मोहन के संग रंग बरसावे खोजें यशोदा माई।
सतरंगी मौसम में देखो होली आई होली आई॥
बच्चे बूढ़े रंग में डूबे सबकी दिखती परछाई,
कोई चटता चाट पकौड़ी कोई खाए मिठाई।
सतरंगी मौसम में देखो होली आई होली आई॥
कोयल मोर पपैया बोले गाए जैसे गीत चौपाई,
जहाँ ख़ुशी में डूब चुका है इंदर ने बूँदे बरसाई।
सतरंगी मौसम में देखो होली आई होली आई॥
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