वृंदावन में होरी आई होरी आई रे
होरी आई रे अरे होरी आई रे...
वृंदावन में होरी आई होरी आई रे।
ग्वाल बाल संग कान्हा गोकुल में आवेंगें
सखी गोपियां लैके गिरधर रास रचावेगें
रास रचावेगें, रास रचावेंगें, राधारानी को रिझावेगें।
वृंदावन में होरी आई होरी आई रे...
बरसाने में लट्ठ बजेगो, फाग उड़ावेगें
फूलन की बारिश होईंगी, झूमेंगे गावेगें
नंदलाला के रंग में, नंदलाला के रंग में, सबरे रंग जावेंगे।
वृंदावन में होरी आई होरी आई रे...
मटकिन ने फोड़ेंगे, अबीर गुलाल बरसावेंगें
गोरे-गोरे गालन पे, नीलो पीलो रंग लगावेंगे
जो रूठेंगी राधा, जो रूठेंगी राधा, साँवरे सरकार मनावेंगे।
वृंदावन में होरी आई होरी आई रे...
जमुना के तीरे, निधिवन लीला दर्शावेंगे
प्रेम सरोवर में, सबरे डुबकी लगावेंगे
मधुर मुरलिया ते, मधुर मुरलिया ते नीरस चित्त हर्षावेंगे।
वृंदावन में होरी आई होरी आई रे...
ढोल बजेगो, रंग जमेगो, सबरे इठलागें
आज बिरज की गलिन में झूमेंगे गावेंगे
भूलके सारे बैरभाव, भूलके सारे बैरभाव रिपु गले लगावेंगे।
वृंदावन में होरी आई होरी आई रे...
हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल' - कोरबा (छत्तीसगढ़)